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मकरध्वज वटी के फायदे, खुराक और उपयोग – Makardhwaj Vati Benefits, Doses and Uses

मकरध्वज वटी का परिचय (Introduction of Makardhwaj Vati)

क्या आपको पता है कि मकरध्वज वटी क्या है और प्रभारक वटी का प्रयोग किसमें (makardhwaj vati benefits in hindi) किया जाता है? मकरध्वज वटी एक बहुत ही गुणी औषधि है जिसका इस्तेमाल यौन संबंधी रोग में किया जाता है।
आयुर्वेद में मकरध्वज वटी के उपयोग (Makardhwaj vati benefits in hindi) के बारे में बहुत सारी अच्छी बातेें बताई गई हैं। यौन शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ मकरध्वज वटी का प्रयोग अन्य कई रोगों में भी किया जा सकता है। आइए सभी के बारे में जानते हैं।

मकरध्वज वटी क्या है (What is Makardhwaj Vati)

मकरध्वज वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है। यह वटी वात–पित्त–कफ त्रिदोष से उत्पन्न सभी प्रकार के रोगों का नाश करती है। इसके साथ-साथ प्रभाकर वटी पौरुष शक्ति बढ़ाने तथा मैथुन सम्बन्धी विभिन्न रोगों के उपचार के लिए भी काम आती है। यौन शक्ति बढ़ाने के लिए तथा अन्य कई उपचारों के लिए यह पतंजलि द्वारा दी जाने वाली यह एक प्रमुख औषधि (Patanjali Medicine) है।

मकरध्वज वटी के फायदे (Makardhwaj Vati Benefits and Uses)

आप मकरध्वज वटी का प्रयोग इस तरह से कर सकते हैंः-

ह्रदय रोग में मकरध्वज वटी से लाभ (Makardhwaj Vati Benefits for Heart Disease in Hindi)

ह्रदय संबंधी कई रोगों में मकरध्वज वटी का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। यह ह्रदय को स्वस्थ बनाने का काम करता है। जिन लोगों को ह्रदय गति तेज होने या ह्रदय संबंधी अन्य विकार की शिकायत हो, वे मकरध्वज वटी का सेवन करें। इससे फायदा (makardhwaj vati benefits) होता है।

शुक्राणु विकार में मकरध्वज वटी से फायदा (Makardhwaj Vati benefits for Sperm Count Problem in Hindi)

मकरध्वज वटी शुक्राणु विकार में बहुत लाभ पहुंचाती है। आज अनेक लोग शुक्राणु विकार से पीड़ित होकर निःसंतान रह जाते हैं और इसका इलाज कराने के लिए ढेर सारे पैसे खर्च कर देते हैं। आप मकरध्वज वटी के सेवन से भी शुक्राणु विकार को ठीक कर सकते हैं।
यह वटी अधिक मैथुन या अप्राकृतिक मैथुन के कारण लिंग के ढीलेपन सहित अन्य बीमारियों का भी उपचार करती है। शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन आदि विकारों में भी मकरध्वज वटी उपयोगी होती है। स्तम्भन शक्ति को बढाती है तथा नपुंसकता का नाश करती है।
और पढ़ें – शीघ्रपतन की समस्या के लिए घरेलू उपचार

मस्तिष्क के रोगों में मकरध्वज वटी का प्रयोग लाभदायक (Benefits of Makardhwaj Vati in Mental Disorder in Hindi)

मकरध्वज वटी वात–पित्त–कफ और त्रिदोष से उत्पन्न सभी प्रकार के रोगों को ठीक करती है। इसका अनुपान भिन्न–भिन्न तरह से किया जाता है।

डायबिटीज में फायदेमंद मकरध्वज वटी का इस्तेमाल (Uses of Makardhwaj Vati for Controlling Diabetes in Hindi)

डायबिटीज आज एक महामारी बन चुकी है। हजारों लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। डायबिटीज से ग्रस्त लोग मकरध्वज वटी का प्रयोग करते हैं तो बेहतर परिणाम (makardhwaj vati benefits) मिलता है।
और पढ़े: डायबिटीज में बेंत के फायदे

शरीर की ताकत बढ़ाती है मकरध्वज वटी (Makardhwaj Vati increases Body stamina in Hindi)

मकरध्वज वटी शरीर में बल प्रदान करती है। शारीरिक कमजोरी से ग्रस्त लोग मकरध्वज वटी का सेवन करें। इससे लाभ मिलता है। यह वीर्य व ओज की वृद्धि कर पुष्टि करती है।
और पढ़ें: वीर्य रोगों में चंद्रप्रभा वटी के लाभ

मकरध्वज वटी की खुराक (Doses of Makardhwaj Vati)

मकरध्वज वटी का सेवन इनती मात्रा में करना चाहिएः-
250 मिली ग्राम, अनुपान – आर्द्रक स्वरस, मधु, मिश्री, मक्खन, मलाई, दूध

आयुर्वेद में मकरध्वज वटी के बारे में उल्लेख (Makardhwaj Vati in Ayurveda)

मकरध्वज वटी के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है –
सुवर्णं रजतं लौहं कस्तूरी मौत्तैंकं तथा।
जातीफलं च सर्वेषां प्रत्येकं तुल्यभागिकम्।।
लौहाच्च द्विगुणं देयं भस्मसूतं भिषग्वरै।
तत्तुल्यं चन्द्रसज्ञं च प्रवालं च तथैव च।।
सहस्रपुटितं चाभं लौहाच्चतुर्गुणं मतम्।
सर्वद्रव्यसमं देयं मकरध्वजचूर्णितम्।।
वारिणा वटिकाः कृत्वा भक्षयेच्च विधानत।
सर्वरोगहरी ह्येषा नास्ति कार्या विचारणा।।
वातपित्तोद्भवं वा।पि श्लेष्माणं च विशेषत।
आर्दकस्य रस श्चानु सन्निपातविनाशन।।
प्राकृं वैकृतं द्वद्वं त्रिदोषं च विनाशयेत्।
उन्मादं चानेकविधमज्ञानं वाङ्निरोधकम्।।
कान्तिपुष्टिकरी ह्येषा वलीपलितनाशिनी।
मकरध्वजवटी ख्याता नाम्ना च भाषिता स्वयम्।। भैषज्य रत्नावली. 74/85-91

मकरध्वज वटी बनाने के लिए उपयोगी घटक (Composition of Makardhwaj Vati)

इसके अनुसार मकरध्वज वटी में निम्न द्रव्य हैं –
क्र.सं.
घटक द्रव्य
उपयोगी हिस्सा
अनुपात
1.
मकरध्वज
 
48 ग्राम
2.
जायफल (Myristica fragrans Houtt.)
पुंकेशर
48 ग्राम
3.
काली मिर्च (Piper nigrum Linn.)
फल
48 ग्राम
4.
कस्तूरी
 
3.6 ग्राम
5.
जल
 
Q.S. मर्दनार्थ

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