मात्रा– 125 मिली ग्राम
अनुपान– जीरक क्वाथ।
गुण और उपयोग– यह वटी शुक्रक्षयजनित समस्त प्रकार के विकारोंका, शीघ्रपतन का तथा वीर्य का पतलापन व प्रमेह का नाश करती है। अति मैथुनजनित शिथिलता वीर्य की क्षीणता, समस्त प्रकार के मूत्ररोग, कास–श्वास, कफज व वातज विकारों को भी शीघ्रातिशीघ्र नाश करने में यह वटी अति उत्तम है। यह वटी वीर्यवाही नाड़ियों और वातवाही नाड़ियों साथ–साथ ही ह्य्दय, मस्तिष्क व फुफ्फुसों पर भी अपना शीघ्र व विशेष प्रभाव दिखलाती है। यह वटी वीर्यवर्धक, अत्यन्त वृष्य व उत्तम रसायन है। कुछ समय तक निरन्तर सेवन करने से यह वटी समस्त धातुओं की पुष्टि कर शरीर को बलवान बनाकर पुष्टि व कान्ति प्रदान करती है। समस्त वात रोगों पर यह विशेष कारगर है।
0 Comments