नेत्र विकार के लिए आहार दिनचर्या
1.प्रातः सुबह उठकर दन्तधावन (बिना कुल्ला किये) से पूर्व खाली पेट 1-2 गिलास गुनगुना पानी एवं नाश्ते से पूर्व पतंजलि आवंला व एलोवेरा स्वरस पियें
संतुलित योजना
समय | आहार योजना ( शाकाहार ) |
नाश्ता (8 :30 AM) | 1 कप दिव्य पेय (पतंजलि), आरोग्य बिस्किट, पतंजलि + पोहा /उपमा (सूजी ) / दलिया /अंकुरित अनाज /1 प्लेट फलों का सलाद (सेब, पपीता, अनार, गाजर, चुकुन्दर ) / 1 गिलास फलों का ताजा जूस |
दिन का भोजन (12:30-01:30 )PM | 1-2 पतली रोटियां (पतंजलि मिश्रित अनाज आटा ) + 1 कटोरी हरी सब्जिया (उबली हुई ) + 1 कटोरी मूंग दाल (पतली ) +1 प्लेट सलाद (खीरा, ककड़ी, चकुंदर, गाजर, टमाटर ) |
सांयकालीन (04:30-05:00 pm) | सब्जियों का सूप/ 1 कप दिव्य पेय (पतंजलि) + आरोग्य बिस्किट, पतंजलि / ड्राई फ्रूट्स (काजू, पिस्ता, भुनी मूंगफली) |
रात्रि का भोजन (8:30-09:30 Pm) | 1-2 पतली रोटियां (पतंजलि मिश्रित अनाज आटा ) + 1 कटोरी हरी सब्जिया + कटोरी दाल |
शयन कालीन/ सोने से पहले
( 09:30-10:00)pm
| 1 चम्मच पतंजलि, त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी से पिए| |
पथ्य आहार (जो लेना है)
अनाज: पुराना चावल, गेहू, जौ
दाले: मसूरदाल, मूंग, अरहर
फल एवं सब्जियां: लौकी, तोरी, परवल, करेला, कददू, गाजर, टमाटर, चुकुन्दर, सेब, अनार, खजूर, पालक, पपीता
अन्य: हल्का भोज्य पदार्थ, घृत एवं गुनगुना पानी पिए |
जीवन शैली……….
योग प्राणायाम एवं ध्यान: कपालभांति, बाह्यप्राणायाम, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उदगीथ, उज्जायी, प्रनव जप
आसन: गोमुखासन, पश्चिमोत्तानास, भुजंगासन, मर्कटासन,
अपथ्य (जो नहीं लेना है)
अनाज: नया धान, मैदा,
दाले: उड़द दाल, चना, मटर, राजमा
फल एवं सब्जियां: आलू, शिमला मिर्च, बैंगन, भिंडी, जामुन, आड़ू, कच्चा आम
और पढ़ें: भिंडी के फायदे
अन्य: तला हुआ एवं कठिनाई से पाचन वाला भोजन
सख्त मना : तैलीय मसालेदार भोजन, मांसहार और मांसाहार सूप, अचार, अधिक तेल, अधिक नमक, कोल्डड्रिंक्स, मैदे वाले पदार्थ, शराब, फास्टफूड, सॉफ्टड्रिंक्स, जंक फ़ूड, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, तला हुआ एवं कठिनाई से पाचन वाला भोजन
जीवन शैली: अध्यसयन (भोजन के बाद दोबारा 1-2 घंटे बाद भोजन करना) अधिक व्यायाम, गुस्सा, डर, चिंता, शीतल जल, दिन मे सोना, धारणी वेग को रोकना, आसमान पर बादल होंने पर ठंडे जल का सेवन, पूर्व दिशा से आने वाली हवाओं का अत्यधिक सेवन
योग प्राणायाम एवं ध्यान– वैद्यानिर्देशानुसार
आसन– वैद्यानिर्देशानुसार
सलाह: यदि मरीज को चाय की आदत है तो इसके स्थान पर 1 कप पतंजलि दिव्य पेय ले सकते हैं |
नियमित रूप से अपनाये :-
(1) ध्यान एवं योग का अभ्यास प्रतिदिन करे (2) ताजा एवं हल्का गर्म भोजन अवश्य करे (3) भोजन धीरे धीरे शांत स्थान मे शांतिपूर्वक, सकारात्मक एवं खुश मन से करे (4) तीन से चार बार भोजन अवश्य करे (5) किसी भी समय का भोजन नहीं त्यागे एवं अत्यधिक भोजन से परहेज करे (6) हफ्ते मे एक बार उपवास करे (7) अमाशय का 1/3rd / 1/4th भाग रिक्त छोड़े (8) भोजन को अच्छी प्रकार से चबाकर एवं धीरे–धीरे खाये (9) भोजन लेने के पश्चात 3-5 मिनट टहले (10) सूर्यादय से पूर्व साथ जाग जाये [5:30 – 6:30 am] (11) प्रतिदिन दो बार दन्त धावन करे (12) प्रतिदिन जिव्हा निर्लेखन करे (13) भोजन लेने के पश्चात थोड़ा टहले एवं रात्रि मे सही समय पर नींद लें [9-10 PM]
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