सुखविरेचन वटी
क्र.सं. घटक द्रव्य प्रयोज्यांग अनुपात
- शुद्ध जयपाल (Croton tiglium Linn.) बीज मज्जा 13 बीज
- शुण्ठी चूर्ण (Zingiber officinale Rosc.) कन्द 24 ग्राम
- जल Q.S मर्दन हेतु
मात्रा– 250 मिली ग्राम
अनुपान– शीतलजल
गुण और उपयोग– इस एक वटी का सेवन करने से प्रातकाल बिना कष्ट के बहुत अच्छी प्रकार से दस्त होता है, परन्तु इस वटी को खाने से पहले मूँग दाल की खिचड़ी में घी मिलाकर खिला देना चाहिए जिससे पेट में चिकनापन आ जाए। इस–क्रिया के बाद रेचक वटी खाने से पर्याप्त लाभ मिलता है। रेचन के बाद पथ्य आहार में दही–भात खिलाने चाहिए।
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